इस लाखो लोगो की भीड़ मे हम हजारो लोगो से मिलते है ,
और उन हजारो में से कुछ सौ लोग हमारे दोस्त , रिश्तेदार तो कुछ खास बन जाते है
उसी खास लोगो की लिस्ट में से इन्हे चुना है मैंने
उसी खास लोगो की लिस्ट में से इन्हे चुना है मैंने
Today, I am going to write on the splendid personality who enlighten our path with the full of knowledge, wisdom and uncountable blessings.
मेरी नानी, किसी की दादी और किसी की माँ थी वो ,
उस छोटे से आशियाने का चिराग थी वो ,
बाँटते थे हर सुख दुःख उनसे ,
छोटो की फैवरेट तो बड़ो की हमदर्द थी वो,,,
ना जरुरत थी आभूषण की क्योंकि
सूरज सा तेज़ और चाँद की शीतलता थी वो,
हम सबको बाँध कर रखने वाली
कोमल छाँव का आँचल थी वो,,,,,,
अपनेपन का एहसास थी वो ,,
परिवार में सबकी खास थी वो ,,
खुशियों की दुआये देने वाली ,,
और हर खुशी में शामिल वाली आस थी वो ,,,,,,,,,
वक़्त की छाया कुछ इस तरह फिर गयी ,
चारो तरफ सन्नाटा छा गया
और मुस्कान आसुओं में बदल गयी,,,,,,,,,,,,
साथ बिताये हुए पल और किस्से
कुछ यादें तो कुछ निशानी बन गयी ,
मुठ्ठी में लेकर कुछ आशाएं और
दिल में लेकर अरमान कई,
बिना किये ही पूरा उन्हें
बीच मझधार में वो छोड़ गयी ,,,,,,,,,,
उस दिन लगा जैसे:
अम्बर से सूरज बिछड़ गया ,
आसमान से तारे टूट गए,
जलता हुआ दीपक बुझ गया
और दुःख के बादल छा गए ,
हम सब टूट गए और
हर आँख भी हुई नम,
क्या कभी सोचा तेरे बिन
कैसे जियेंगे हम,,,,,,,,
अब आलम कुछ यु हो गया है
वक़्त जैसे थम सा गया है ,
कदम रुक गये है ,अंदर से टूट भी गए है
सांसे तो चल रही है
बाते भी आपकी हो रही है
वही रात है ,, वही सवेरा है
सब चीज़ वही है,
पर पहले जैसी अब बात नहीं है
क्योंकि अब साथ आप जो नही है !!!!!!!!!!!!
A tribute to Maternal Grandmother by her Grand daughter by Tr. Kamakshi Johar
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उस छोटे से आशियाने का चिराग थी वो ,
बाँटते थे हर सुख दुःख उनसे ,
छोटो की फैवरेट तो बड़ो की हमदर्द थी वो,,,
ना जरुरत थी आभूषण की क्योंकि
सूरज सा तेज़ और चाँद की शीतलता थी वो,
हम सबको बाँध कर रखने वाली
कोमल छाँव का आँचल थी वो,,,,,,
अपनेपन का एहसास थी वो ,,
परिवार में सबकी खास थी वो ,,
खुशियों की दुआये देने वाली ,,
और हर खुशी में शामिल वाली आस थी वो ,,,,,,,,,
वक़्त की छाया कुछ इस तरह फिर गयी ,
चारो तरफ सन्नाटा छा गया
और मुस्कान आसुओं में बदल गयी,,,,,,,,,,,,
साथ बिताये हुए पल और किस्से
कुछ यादें तो कुछ निशानी बन गयी ,
मुठ्ठी में लेकर कुछ आशाएं और
दिल में लेकर अरमान कई,
बिना किये ही पूरा उन्हें
बीच मझधार में वो छोड़ गयी ,,,,,,,,,,
उस दिन लगा जैसे:
अम्बर से सूरज बिछड़ गया ,
आसमान से तारे टूट गए,
जलता हुआ दीपक बुझ गया
और दुःख के बादल छा गए ,
हम सब टूट गए और
हर आँख भी हुई नम,
क्या कभी सोचा तेरे बिन
कैसे जियेंगे हम,,,,,,,,
अब आलम कुछ यु हो गया है
वक़्त जैसे थम सा गया है ,
कदम रुक गये है ,अंदर से टूट भी गए है
सांसे तो चल रही है
बाते भी आपकी हो रही है
वही रात है ,, वही सवेरा है
सब चीज़ वही है,
पर पहले जैसी अब बात नहीं है
क्योंकि अब साथ आप जो नही है !!!!!!!!!!!!
A tribute to Maternal Grandmother by her Grand daughter by Tr. Kamakshi Johar
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2 comments:
Ji
Meri apni nani ka swroop thi , priye or manmohak svabhav ki thi , shradhanjali arpit karta hu
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